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Sunday, December 8, 2024

मनुष्यों को पढ़ने का हुनर (हरिवंश राय बच्चन की कविता)

मनुष्यों को पढ़ने का हुनर


गिरना भी अच्छा है,

औकात का पता चलता है |

बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को,

अपनों का पता चलता है |

जिन्हें गुस्सा आता है,

वे लोग सच्चे होते हैं |

मैंने झूठों को अक्सर,

मुस्कुराते हुए देखा है |

सीख रहा हूूं मैं भी,

मनुष्यों को पढ़ने का हुनर |

सुना है चेहरे पर,

किताबों से ज्यादा लिखा होता है |

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