Thursday, August 24, 2023

जिंदगी भी क्या रंग दिखाती है ज़नाब

जिंदगी भी क्या रंग दिखाती है ज़नाब


जिंदगी भी क्या रंग दिखाती है ज़नाब 
कभी हासती है तो कभी रूलती है। 
कभी उठाती है तो कभी गिराती है 
कभी अपनो से मिलाती है तो 
कभी अपनो से बिछडवाती है कभी 
परायो को अपना बना देती है तो 
कभी उनसे दूरिया बना देती है 
कभी उंचाईयो में ले जाती है तो 
कभी एकदम नीचे ले आती है 
ये जिंदगी है जंनाब ये क्या - क्या रंग दिखाती है 
कभी नए - नए रंगो से सजती है तो 
कभी उसे बेरंग कर देती है। 
कभी खिलती है तो कभी मुरझा जाती है। 
कभी उम्मीद देती है तो कभी बेउम्मीद कर देती है। 
कभी रोशनी देती है तो कभी अंधेरा कर देती है 
ये जिंदगी है ज़नाब क्या - क्या रंग दिखाती है। 
ये कभी एक पल में सब देती है तो 
कभी सब ले लेती है 
ये कभी शांति देती है तो कभी अशांति देती 
फिर भी ये जिदंगी है ज़नाब ये हर पल , 
हर दिन नए - नए रंग दिखाती है। 
 ये जिंदगी है ज़नाब जिंदगी

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