छोटा सा गाँव मेरा
पुरा बिग बाजार था !
एक नाई, एक मोची,
एक अच्छा लुहार था !!
छोटे छोटे घर थे
हर आदमी बङा दिलदार था !
छोटा सा गाँव मेरा
पुरा बिग बाजार था !!
कही भी रोटी खा लेते
हर घर मे भोजऩ तैयार था !
बाड़ी की सब्जी मजे से खाते थे
जिसके आगे शाही पनीर बेकार था !!
छोटा सा गाँव मेरा
पुरा बिग् बाजार था !
दो मिऩट की मैगी ना,
झटपट दलिया तैयार था !!
नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार था
अपना घड़ा कस कै बजा लेते !
समारू पुरा संगीतकार था,,
छोटा सा गाँव मेरा पुरा बिग बाजार था !!
मुल्तानी माटी से तालाब में नहा लेते,
साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था !
और फिर कबड्डी खेल लेते
हमे कहाँ क्रिकेट का खुमार था !!
छोटा सा गाँव मेरा
पुरा बिग् बाजार था।।।
दादी की कहानी सुन लेते
कहाँ टेलीविज़न और अखबार था !
भाई - भाई को देख के खुश था,
सब मे बहुत प्यार था !!
छोटा सा गाँव मेरा पुरा बिग बाजार था !!
वो प्यार, वो संस्कृति
मैं अब कहाँ से लाऊं !
ये सोच सोच कर
मैं बहुत दुख पाऊं !!
जो वो समय फिर आ जा्य
तो बहुत मजा आ जाय !
मैं अपनी असली जिन्दगी जी पाऊं
और मैं इस धरती को सौ-सौ शीश झुकाऊं !!
Good one 👍👍👍👍
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