Saturday, October 17, 2020

छोटा सा गाँव मेरा पुरा बिग् बाजार था !

 छोटा सा गाँव मेरा

पुरा बिग बाजार था !

एक नाई, एक मोची,

एक अच्छा  लुहार था !!

छोटे छोटे घर थे

हर आदमी बङा दिलदार था !

छोटा सा गाँव मेरा

पुरा बिग बाजार था !!

कही भी रोटी खा लेते 

हर घर मे भोजऩ तैयार था !

बाड़ी की सब्जी मजे से खाते थे 

जिसके आगे शाही पनीर बेकार था !!

छोटा सा गाँव मेरा

पुरा बिग् बाजार था !

दो मिऩट की मैगी ना, 

झटपट दलिया तैयार था !!

नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार था 

अपना घड़ा कस कै बजा लेते !

समारू पुरा संगीतकार था,,

छोटा सा गाँव मेरा पुरा बिग बाजार था !!

मुल्तानी माटी से तालाब में नहा लेते,

साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था !

और फिर कबड्डी खेल लेते

हमे कहाँ क्रिकेट का खुमार था !!

छोटा सा गाँव मेरा

पुरा बिग् बाजार था।।।

दादी की कहानी सुन लेते 

कहाँ टेलीविज़न और अखबार था !

भाई - भाई को देख के खुश था,

सब मे बहुत प्यार था !!

छोटा सा गाँव मेरा पुरा बिग बाजार था !!

वो प्यार, वो संस्कृति

मैं अब कहाँ से लाऊं !

ये सोच सोच कर

मैं बहुत दुख पाऊं !!

जो वो समय फिर आ जा्य 

तो बहुत मजा आ जाय !

मैं अपनी असली जिन्दगी जी पाऊं 

और मैं इस धरती को सौ-सौ शीश झुकाऊं !!

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