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Monday, December 30, 2013

बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो

बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो

बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो,
धूप आये तो सरसों पीली न हो,
ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि,
तेरी याद आये और पलकें गीली न हों।

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