Hindi Holi Poem
सब को ही होली की राम राम
कितने भाग्यवान हैं हम सब ,खेल रहे मिल जुल कर होली
और कही पर धधक रही जनता के अरमानो की होली
कही घुल रहा रङ्ग रुधिर का सागर के जल मे अति गहरा
और कही टेसू गुलाब के रंग रन्गी जनता की टोली
प्रियजन खेलो रंग , मचाओ धूम ,नगर मे घूम घूम कर
मन मे करते रहो विनय ,"""प्रभु खोलो अब तो करुणा झोली
कष्ट हरो करुणाकर स्वामी ,जग के सारे ,दुखी जनो के"
मानवता ,मिल जुल कर ,जिससे ,खेल सके हम सब से होली
कितने भाग्यवान हैं हम सब ,खेल रहे मिल जुल कर होली
और कही पर धधक रही जनता के अरमानो की होली
कही घुल रहा रङ्ग रुधिर का सागर के जल मे अति गहरा
और कही टेसू गुलाब के रंग रन्गी जनता की टोली
प्रियजन खेलो रंग , मचाओ धूम ,नगर मे घूम घूम कर
मन मे करते रहो विनय ,"""प्रभु खोलो अब तो करुणा झोली
कष्ट हरो करुणाकर स्वामी ,जग के सारे ,दुखी जनो के"
मानवता ,मिल जुल कर ,जिससे ,खेल सके हम सब से होली
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